लाडकी बहन योजना से राज्य की वित्तीय स्थिति पर असर: मंत्री भुजबळ
मुंबई, 6 अक्टूबर (आईएएनएस) — महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरी आपूर्ति मंत्री छगन भुजबळ ने कहा कि मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहन योजना के कारण राज्य की वित्तीय स्थिति और विभागीय बजट पर दबाव बढ़ गया है।
यह पहली बार है जब महायुति सरकार के किसी मंत्री ने सार्वजनिक रूप से इस योजना के वित्तीय प्रभाव पर बात की है।
लाडकी बहन योजना पर अधिक खर्च से बढ़ा दबाव
भुजबळ ने कहा कि 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये लाडकी बहन योजना पर खर्च करने से सरकार के अन्य कल्याणकारी कार्यक्रम प्रभावित हो रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इससे आनंदाचा शिधा योजना (जो त्योहारों पर नागरिकों को चीनी और अनाज उपलब्ध कराती है) में भी देरी हो रही है।
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए मुआवजा राशि जारी करनी है, जिससे कोष पर और दबाव बढ़ गया है।
उन्होंने कहा, “अगर हम इसी तरह पैसे बांटते रहे, तो वित्तीय समस्याएं निश्चित रूप से बढ़ेंगी।”
विभागों में फंड की कमी
एनसीपी के वरिष्ठ नेता भुजबळ ने बताया कि अब लगभग सभी सरकारी विभाग फंड की कमी से जूझ रहे हैं।
लोक निर्माण विभाग (PWD) पर ही करीब 84,000 करोड़ रुपये का बकाया है।
नए टेंडर देने के बाद भी ठेकेदार बकाया भुगतान के बिना काम करने से इनकार कर रहे हैं।
भुजबळ ने कहा कि इस वित्तीय संकट के कारण कई विकास परियोजनाएं या तो रुक गई हैं या धीमी गति से चल रही हैं।
लाडकी बहन योजना और इसके लाभ
माझी लाडकी बहन योजना महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए शुरू की गई थी।
इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे की योग्य महिलाओं को प्रति माह ₹1,500 की आर्थिक सहायता सीधे बैंक खाते (DBT) में भेजी जाती है।
महालुति सरकार ने इस राशि को ₹2,100 प्रति माह करने का वादा किया था, लेकिन राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर होने के कारण यह बढ़ोतरी अब तक नहीं की जा सकी है।
इस योजना के तहत महिलाओं को दी जाने वाली इस राशि की निर्भरता और आगामी 15वीं किस्त के साथ जुड़ी अनिश्चितताएँ ई-केवाईसी प्रक्रिया में आ रही तकनीकी परेशानियों के कारण और बढ़ गई हैं। लाभार्थियों को आश्वस्त किया गया है कि सभी योग्य महिलाएं अपनी किश्त समय पर प्राप्त करेंगी यदि उनका ई-केवाईसी सही समय पर पूरा हो जाता है।
आनंदाचा शिधा योजना पर संकट
भुजबळ का बयान उस समय आया जब यह खबरें सामने आईं कि आनंदाचा शिधा योजना को भी फंड की कमी के कारण बंद किया जा सकता है।
यह योजना 2022 में दिवाली के दौरान शुरू हुई थी, जिसके तहत भगवा राशन कार्ड धारक परिवारों को ₹100 में चार खाद्य वस्तुएं दी जाती थीं।
बाद में इस योजना को गुड़ी पड़वा, डॉ. अंबेडकर जयंती और गणेश चतुर्थी जैसे अन्य त्योहारों तक बढ़ाया गया।
हर किट में रवा, चना दाल, चीनी और सोयाबीन तेल शामिल था।
प्रत्येक बार इस योजना पर लगभग ₹500 करोड़ का खर्च आता था, और 1.6 करोड़ लाभार्थी इससे जुड़ते थे।
शिव भोज थाली योजना भी खतरे में
भुजबळ के विभाग की एक और योजना शिव भोज थाली भी अब फंड कटौती का सामना कर रही है।
इस योजना को दो लाख लोगों को रोजाना भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रति वर्ष लगभग ₹140 करोड़ की आवश्यकता होती है, लेकिन इस बार इसे केवल ₹70 करोड़ मिले हैं।
इस योजना के तहत गरीब और जरूरतमंद लोगों को ₹10 में पूरी थाली — दो चपातियां, एक सब्जी, एक दाल और एक कटोरी चावल — दी जाती है।
वास्तविक लागत शहरी क्षेत्रों में ₹50 और ग्रामीण क्षेत्रों में ₹35 आती है, जिसका अंतर सरकार सब्सिडी के रूप में वहन करती है।
भविष्य की योजनाओं पर संकट के बादल
भुजबळ ने कहा कि राज्य की वित्तीय स्थिति बेहद तंग है, और अगर इसी तरह खर्च जारी रहा, तो भविष्य में सरकार सभी कल्याणकारी योजनाओं को जारी नहीं रख पाएगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार को कल्याणकारी योजनाओं और विकास कार्यों के बीच संतुलन बनाना होगा, ताकि वित्तीय संकट से बचा जा सके।
